DESCRIPTION
आधुनिक फास्ट फूड पिल्ला बर्गर के जमाने में मित्री रोटी बीते जमाने की बात बनकर रह गई है। कलात्मक कंटों के आकार वाली और छोटे छोटे खटमरियों से सजी यह मिश्री की सुस्वाद रोटियां विशेष रूप से पावणों के चाल में बाघोट पर ससुराल में जनाना पक्ष की ओर से विशेष तौर पर परोसा जाना वाला आइटम माना जाता है। मिश्री की रोटियां बनाना हर किसी के हाथ की बात नहीं होती है। कहते हैं कि बुरा स्वाद कई बार गोठ की फजीहत भी करवा देता है, अच्छा स्वाद जीमण का रंग जमा देता है। सुस्वाद मिश्री की रोटियों के साथ अलग- अलग कई व्यंजन से भरा ढक कर भेजा गया थाल जनाना पक्ष की प्रशंसा के कसीदे भी पढ़वा सकता है। ये रोटियां और पाल न केवल जनाना पक्ष की कलात्मक रूचि के प्रदर्शन, पाकशास्त्र में विशेषतता, मेहमानों के आदर भाव के सुन्दर नमूने होते हैं बल्कि यह प्रदेश की रंगरुडी और मदमी मनभावन संस्कृति के प्रतीक है। मिश्री की रोटियां बनाने में मेहनत के साथ भावनात्मक पुट लगा होने के कारण उनका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है। लोकगीतों में भी मिश्री की रोटीयों के बारे में वर्णन मिलता है। फास्ट फूड और रेडीमेट के जमाने में शाकर की रोटी को पुराने जमाने की बात बना दिया है। अब न तो पावणों के चाल का हिस्सा शाकर की रोटी रही, न ही इसको बनाने वाली को स्नेहमयी मांऐ, न तो स्वाद के पारखी पावणे रहे, न रंगठी मदमीठी मनोहारी महफीलें और गोठे नहीं व बाजोट संस्कृति रही। न वो मिनटख रहे और न ही को मिनरुपणो । रही है तो फास्ट फ्रंड और रेडीमेट भोजन संस्कृति जहाँ लजीज व्यंजन जिलाने के लिए कम संख्या गिवाने के लिए अधिक होते हैं।
Ingredients