जिन्ना भारत-विभाजन के आईने में

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Description 

1947 में भारत का विभाजन बीसवीं सदी की सबसे दुखांत घटना थी, जिसके ज़ख्म अभी तक नहीं भरे। इसके कारण चार पीढ़ियों की मानसिकता आहत हुई। क्यों हुआ यह बंटवारा? कौन इसके लिए उत्तरदायी थे-जिन्ना, कांग्रेस पार्टी अथवा अंग्रेज़ ? इस पुस्तक के लेखक जसवंत सिंह ने इसका उत्तर खोजने की कोशिश की है-संभवतः कोई निश्चित उत्तर हो नहीं सकता, फिर भी अपनी ओर से पूरी ईमानदारी से खोज की है, क्योंकि जिन्ना, जो किसी समय हिन्दू-मुस्लिम एकता के पैरोकार थे, कैसे भारत में मुसलमानों के एकमात्र प्रवक्ता बने और अंततः पाकिस्तान के निर्माता और फिर क़ायदे-आज़म। इस परिवर्तन की प्रक्रिया कैसे हुई?

अब तक किसी भारतीय या पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ अथवा सांसद ने इस प्रश्न का विश्लेषण करते हुए जिन्ना की जीवनी नहीं लिखी। यह पुस्तक इस दिशा में सापेक्ष और ईमानदाराना प्रयत्न है।

भारत के जन-जीवन में जसवंत सिंह एक अत्यंत सम्माननीय नाम है। वे एक अनुभवी सांसद रहे हैं और भारत के विदेश मंत्री रहे हैं। भारत की विदेश नीति, लाहौर शांतिवार्ता, पाकिस्तान द्वारा कारगिल पर छदमपूर्ण आक्रमण, कंधार, आगरा शांतिवार्ता, संसद भवन पर जिहादी हमला और 2002 की रचनात्मक नीति-इन सब महत्त्वपूर्ण घटनाओं में राजनीतिज्ञ के नाते जसवंत सिंह की प्रमुख भूमिका रही।


About Author

जसवंत सिंह ने राजस्थान के रेगिस्तानी जिलों में अपने घर से एक लंबा सफर तय किया है। भारतीय सेना में कमीशन जब उन्नीस से कम हो गया, तो उन्होंने राजनीतिक कैरियर को आगे बढ़ाने के लिए अपने कमीशन को इस्तीफा देने से पहले सेवा (1962 और 1965) में दो युद्धों से गुजरे। उन्होंने संसद में सात कार्यकाल और 1996 और 1998-2004 की भाजपा की अगुवाई वाली सरकारों में, सरकार के वित्त मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा के छह मंत्रालयों का प्रभार संभाला, जसवंत सिंह देश के सार्वजनिक जीवन में सबसे सम्मानित नामों में से हैं और कूटनीति की दुनिया। मई 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद सामने आए अशांत राजनयिक समुद्रों से भारत को निहायत ही रूप से पटखनी देने का श्रेय उन्हें दिया जाता है। वे भारत की संसद के उच्च सदन राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं। जसवंत सिंह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर, वार्विक यूनिवर्सिटी में मानद प्रोफेसर और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में सीनियर फेलो हैं।

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