Description
जन अर्थात् लोक मानस में जो व्यक्तित्व आस्था एवं श्रद्धा को प्राप्त कर लेते हैं, वे ही कालान्तर में लोकदेवताओं के रूप में अवस्थित होते हैं। मध्यकाल में अनेक ऐसे व्यक्तित्व हुए, जो अपने असाधारण कार्यों से सांस्कृतिक इतिहास में अपना स्थान बना जाते हैं। ये संस्कृति के अनेक तत्त्वों के कारक भी बनते हैं एवं उसकी समृद्धि का कारण भी। इनसे जुड़ा साहित्य निर्माण साहित्यिक समृद्धि का कारण बनता है, तो मेले, त्योहार, पर्व आदि जन अभिव्यक्ति का आधार तथा इनसे जुड़े स्थल मंदिर, तीर्थ आदि कला के पोषण का कारण बनते हैं। अतः कहीं ना कहीं मध्ययुगीन राजस्थान के सांस्कृतिक इतिहास निर्माण में इनका विशेष योगदान रहा है। इन्होंने ना केवल अपने देश के जन-धन की रक्षा करते हुए अपने प्राणोत्सर्ग ही किये, वरन् तत्कालीन रूढ़िवादी समाज में व्याप्त अनेक बुराइयों का अन्त भी किया। रामदेव जी द्वारा उस काल में जो 'अछूतोद्धार' किया गया तथा समाज के प्रत्येक वर्ग को सम-भाव से देखा गया, वह उस समय एक क्रान्तिकारी कदम था। डॉ. भँवरसिंह द्वारा लिखित पुस्तक "राजस्थान के लोकदेवताओं का सांस्कृतिक इतिहास" कुछ ऐसे ही तथ्यों को प्रकट कर लोकदेवताओं को सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक योगदान को परिलक्षित करती है। लोकदेवताओं का व्यक्तित्व एवं कृतित्व कालजयी है एवं सभी कालों में प्रासंगिक है क्योंकि उन्होंने अन्याय के विरुद्ध निर्बल असहाय वर्ग की रक्षार्थ आत्मबलिदान एवं त्याग किये। उनकी सामाजिक सार्थकता एवं प्रासंगिकता उनकी विचारधारा के अध्ययन एवं विश्लेषण में ही नहीं वरन् उनके आचरण एवं कृतित्व में सन्निहित है। लोकदेवताओं द्वारा भारतीय संस्कृति के चिरंतन सत्य की सरल एवं सरस पुनर्व्याख्या सर्वयुगीन रूप से प्रासंगिक सिद्ध हो सकती है यदि उसे व्यवहार में उतारा जाये, यही प्रस्तुत पुस्तक का संदेश है।
डॉ. सिंह ने स्थानीय एवं मूल स्रोतों का उपयोग कर इसे शोधार्थियों के लिये भी उपयोगी बनाया है। भाषा सरस तथा सरल है, जो सामान्य पाठ्यगणों हेतु भी रुचिकर है।
About Author
डॉ. भंवर सिंह
पिता : श्री आम्बसिंह भाटी
माता : श्रीमती चन्दन कँवर
जन्मतिथि : 05 फरवरी, 1980 ई.
मूल निवास : ग्राम मोगेराई (चोचरा), तह- शिव, जिला बाड़मेर- 344701
शिक्षा :
(i) एम.ए. (इतिहास) स्वर्णपदक, NET, SET, Ph.D.
(ii) एम. ए. राजस्थानी साहित्य (प्रथम श्रेणी), NET
(iii) स्नातक शिक्षा ( प्रथम श्रेणी)
प्रकाशन :
(i)राजस्थान के लोकदेवताओं का सांस्कृतिक इतिहास
(ii) राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर के सेमिनारों में सत्रह शोध-पत्र प्रस्तुत (11 प्रकाशित व 06 प्रकाशनाधीन)
प्रकाशनाधीन :
(i) बाड़मेर का सांस्कृतिक इतिहास
(ii) जैचन्द भाटी राजवंश का इतिहास