DESCRIPTION
यह संसार ईश्वर की निराली कृति है जिसमें एक दूसरे की पूरक चीजें मिलती है। इससे सांसारिक जीवन चक्र भली भांति चलता है। वैज्ञानिकों के अनुसार पेड़-पौधे जीव जन्तुओं की तरह सांस लेते है। इसी गहरे रहस्य को उजागर करते हुए 15वीं सदी में गुरु जाम्भोजी ने 29 नियमों की आचार संहिता में "जीव दया पालणी, रूंख लीला नी घावै" का उपदेश देकर पेड़ पौधों की रक्षा करना मनुष्य का धर्म बताया है। इसी नियम को हृदय में धारण करते हुए जाम्भोजी के अनुयायी (विश्नोई) बिना किसी लोभ लालच के हंसते-हंसते अपने प्राणों की बाजी लगाकर हरे वृक्षों व अन्य जीवों की रक्षा में सदैव तत्पर रहते हैं।