Product Description
पश्चिमी राजस्थान में प्राचीन काल से ही वर्ष का अत्यधिक महत्व रहा है। यहां पर पुराने समय से जल का एकमात्र साधन वर्षा रही है खेतो भी वर्ण आधारित पी युरातन काल में जब मौसम विज्ञान का यांत्रिक रूप इतना विकसित नहीं था, तब ग्रामीण क्षेत्र के लोग आने जाते वर्ष के अकाल-सुकाल का अनुमान विभिन्न तरीकों से लगा देते ।
यह अनुमान, अनुमान न होकर सटीक भविष्यवाणी होती थी। इस पुस्तक में लेखक जोगाराम सारण ने यहां के अनपद किन्तु गुणो विद्यदजनों के वर्ष संबंधी आख्यानों, कहावतों का संग्रह कर लुप्त होती परम्परा को अगली पीढो तक ले जाने का भागीरथ प्रयास किया ये कहावतें सच कहा जाय तो माटी की सुगन्ध है, जमीन का सुनहला रूप है, यहां के जमीन से जुड़े किसानों के दिल की आवाज है, हृदय के उद्गार है। इनमें लोक जीवन के अनेक आरोह-अवरोह की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है इन्हें समग्रता से देखना, पढना, समझना और अपने जीवन में उतारना हर दृष्टि से उपयोगी है। वर्तमान समय में मौसम विज्ञान में अति उच्च किस्म की तकनीको आ गयी है तो मौसम विज्ञान उन यंत्रों के आधार पर वर्षा की भविष्यवाणी कर देते हैं किन्तु पुरातन काल में जानकार लोग हवा के रुख, जीव-जंतुओं के व्यवहार और नक्षत्रों के आधार पर वर्षा का अनुमान लगाते थे। गांव-ढाणी के मौसम वैज्ञानिक पुस्तक में लेखक ने कड़ी मेहनत कर मौसम विज्ञान की विभिन्न प्रकार की कहावतों का अनूठा, प्रेरक, उपयोगी, लाभप्रद और आने वालो पोढ़ी को सचेत करने संकलन प्रस्तुत किया है।
About Author
श्री जोगाराम सारण एक समाज सेवी और पत्रकार हैं .आपने एम. ए . इतिहास में शिक्षा प्राप्त की और बी.एड की डिग्री प्राप्त की. व्यवसाय से आप अध्यापक हैं. आपका जन्म दिनांक 5 फरवरी 1980 को श्री गंगारामजी एवं श्रीमती सजियों जाट (मायला) के परिवार में बाड़मेर जिले के गाँव गरल में हुआ.
Product Information
Dimensions : 21 x 13 x 0.3 cm
Publisher : RJC 2018