Description
कविताओं में कवि ने वैश्वीकरण और बाजारवाद के विरुद्ध स्थानीयता और आंचलिकता को खड़ा किया है। पूँजी और तकनीक के दो पाटों के बीच पिसते मनुष्य को बचाना ही इन कविताओं का मुख्य सरोकार है। ऐसे कठिन समय में जबकि कविता लिखना एक मुश्किल काम है, कवि अपने मुहावरे से पाठक से सीधा संवाद करते हैं । वे कलाबाजी के चक्कर में नहीं पड़ते हैं। वे ऐसे-ऐसे बिम्ब और चित्र उकेरते हैं कि लगता है कि पाठक अपनी आँखों से वह सब प्रत्यक्ष देख रहा है।
Product Information
ISBN -978-93-82311-33-1
Publisher : RG 2019