Description
आपने ‘विचार भारती’ के चारण साहित्य विशेषांक का गुजराती से हिन्दी में अनुवाद करके चारण कवियों की बहुत बड़ी सेवा की है। सही अर्थ में अपनी इस सांस्कृतिक अस्मिता को विश्व के विद्वानों तक पहुंचा कर आपने मात्र डिंगल साहित्य की ही नहीं परन्तु भारतीय साहित्य की अमूल्य सेवा की है, इस हेतु आप यश, धन्यवाद एवं सराहना के अधिकारी है। आपकी साहित्य के प्रति शुभनिष्टा एवं निःस्वार्थ नियोजित शब्द साधना ऋषि-मुनि की तपनिष्ठा समान है। भगवती शारदा की अनन्य कृपा से आपका व आपके परिवार का स्वास्थ्य निरामय रहे, सुख-शान्ति एवं समृद्वि मिले जिससे आप शब्द-साधना करते रहे, ऐसी प्रार्थना जगत-जननी जगदम्बा को करता हूँ। आज लाभ पंचमी के पावन दिवस पर भगवती हिंगलाज के पावन स्मरण के साथ शुभेच्छा सहित जय माताजी।
Product information
Hardcover | 140 pages | |||
ISBN-10 | 9384168408 | |||
ISBN-13 | 978-9384168407 | |||
Publisher | RAJASTHANI GRANTHAGAR, JODHPUR (1 January 2015) | |||