ऊमकल्ली ठाकरां री बातां

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Description

भारत रे अलौकिक जीवन में मानवता रा कंवळा-कंवळा भाव ने भाइपा रो गाडो विस्वास कित्ती गैरो भरियोड़ी है उणनै सांप्रत देखणोव्है तो अठारी बातां नेलोक गीतां ने देखणौ चाहिजे। इणां में लोक संसक्रति नै सामाजिक जीवण रौ आदरस भरियोड़ी मिलेला, इणा साथै ई मानवता रा ऊंचा भाभी मिलेला।

लोगां में जुगा सुं चालती आई ए बातां बूढ़ा डोकरिया सुं लेय नै राव भाटां री जबांन सुं सुणण रो सिलसिलौ जुगां सुं चालतो आयो है। पण इणां बरसां में विद्वान लेखक जबांनी सुणण रा चस्का नै आगे बढायौ नै आप आपरी कलम सुं इण बातां नै पढ़ण जोग बणाय नै आपरी कलम रौ चमतकार इणां में घाल दियौ, नै ए बातां ऐड़ी बाणई कै पढ़ण वालौ एक बात पढलै तोपूरी किताब रा पांनड़ा पढियां बिनारैनीं सके।

अबार री इण पोथी में ऊमकळी रा ठाकरां रेसंग्रह सूं टाळमी बातां पाठकां नें नजर की है । इण में कई तोसाव छोटी है पण अपणे आप में पूरी बात है और मानवीय संदेवना सुं भरी है। इण पोथी में 28 बातां नै भेळी करी है जिणां में कोई अड़ी नीं है जिणनेपढियां बिना छोड़ी जा सके।

About Author 

ठाकर नाहरसिंहजी जसोल री इण मेहताऊ मैणत बाबत् घणौ घणौसाधुवाद है। म्हारौ विसवास है के, पाठक गण इण किताब नेघणा चाव सू पढसी।

Product Information

Language : Rajsthani
Dimensions : 21.7 x 13.9 x 1.2 cm
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