Description
वेद का वचन है 'मनुर्भव' अर्थात मनुष्य बनो। आज का मानव जब दानवी पद-चिन्हों के अनुगमन में शीघ्रता कर रहा है, तब इस वचन का महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है । मनुष्य स्वयं भी बनो तथा दूसरों को भी बनाओ। स्वयं मनुष्य बनना अपनी साधना का क्षेत्र है,तो दूसरों को मनुष्य बनाना शिक्षण का क्षेत्र है। जैसा कि इस पुस्तक के अन्त में आया है, इस शिक्षण के क्षेत्र के लिए पाठशाला तथा जेल अत्यधिक महत्त्वपूर्ण स्थान हैं। जेल, जहाँ मनुष्यत्व के पथ से हटे हुए लोगों को मनुष्य बनाने के महत्त्वपूर्ण कार्य का उत्तरदायित्व है वहाँ कैसी शोचनीय व्यवस्था है, यह इस पुस्तक में स्पष्ट होता है। देश को स्वतंत्रता प्राप्त होने के 9 वर्ष बाद की जेलों की स्थिति जैसी बनी हुई थी उससे हम भली प्रकार इस निर्णय पर पहुँच सकते हैं, कि मनुष्य बनाने के लिए बनी इस महत्त्वपूर्ण संस्था की कितनी दयनीय और उपेक्षा पूर्ण स्थिति सरकार ने बना रखी है।
भूस्वामी संघ के दूसरे आन्दोलन के समय गिरफ्तारी के बाद लेखक को टोंक जेल में रखा गया था। 'ए' क्लास के राजनैतिक बन्दियों के साथ राजनैतिक कारणों से दुर्व्यवहार करना प्रजातंत्र का मजाक उड़ाना है। मतभेद होना तो साधारण बात है, लेकिन मतभेद के कारण दूसरे के साथ अनुचित व्यवहार करना चरित्र की न्यूनता ही सिद्ध करता है। 'संघशक्ति' पत्रिका के प्रथम अंक जनवरी 1960 से प्रारम्भ होकर नवम्बर 1960 तक ये प्रकरण धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुए थे, उन्हीं को पुस्तक गया है। के रूप में प्रस्तुत किया
About Author
स्व. तन सिंह
(जन्म 25 जनवरी 1924) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और दो बार लोकसभा के सदस्य थे। उन्होंने युवा राजपूतों के लिए एक संगठन श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना की। वे भारतीय संसद में प्रवेश करने से पहले राजस्थान राज्य की विधान सभा के सदस्य बने रहे।
1944 की दिवाली की रात थी। प्रवेश पिलानी शहर उत्सव की रोशनी में नाच रहा था। स्थानीय राजपूत छात्रावास के अपने कमरे में एक अकेला राजपूत नौजवान अकेला बैठा था, किसी बात के बारे में बहुत गहराई से सोच रहा था। वह सोच रहा था कि 'मेरे राष्ट्र का क्या होगा ’.....? ..... क्या मेरा समाज कोई बदलाव करेगा .....? ..... मुझे दीपक कहाँ से मिलना चाहिए, जिससे ज्ञान मिलेगा मेरा समाज; ..... वह दीपक कौन बनेगा? ..... मैं अपने जीवन का क्या करूंगा? ..... उस युवा की इस पीड़ा ने उसके संकल्प श्री क्षत्रिय युवक को जन्म दिया संघ। वह नौजवान कोई और नहीं बल्कि श्री क्षत्रिय युवक संघ के संस्थापक तन सिंह जी थे।