Description
'झनकार' अपने इस रूप में आने से पूर्व “संघशक्ति' मासिक के विशेषांक के रूप में मई 1960 में प्रकाशित हो चुकी है। पहला संस्करण समाप्त होने के बाद नये सहगीतों सहित दिसम्बर 1971 में द्वितीय संस्करण प्रकाशित किया गया।
द्वितीय संस्करण के प्रकाशनोपरान्त भी नये सहगीत बनते रहे और निरन्तर बढ़ती माँग में एक के बाद एक संस्करण प्रकाशित होते रहे। श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर प्रकाशित विशेष संस्करण के बाद कई संस्करण प्रकाशित हो चुके, उसी क्रम में अब यह नवीन संस्करण आपके हाथ में है।
7 दिसम्बर, 1979 को श्रद्धेय तनसिंहजी का स्वर्गवास हो गया। अब उनके नये गीत पढ़ने, सुनने को कभी नहीं मिल सकेंगे। यह अभाव मुझे ही नहीं बल्कि हम सभी को सदा खटकता रहेगा। निसंदेह इन गीतों का महत्व अब और भी बढ़ गया है। इन रचनाओं का उद्देश्य केवल लोकानुरंजन ही नहीं, अपितु रसात्मक काव्य द्वारा जन-मानस को दिशा-दर्शन देना है। इस दृष्टि से आशा है, यह पुस्तिका हमें पर्याप्त प्रेरणा देती रहेगी।
About Author
स्व. तन सिंह
(जन्म 25 जनवरी 1924) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और दो बार लोकसभा के सदस्य थे। उन्होंने युवा राजपूतों के लिए एक संगठन श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना की। वे भारतीय संसद में प्रवेश करने से पहले राजस्थान राज्य की विधान सभा के सदस्य बने रहे।
1944 की दिवाली की रात थी। प्रवेश पिलानी शहर उत्सव की रोशनी में नाच रहा था। स्थानीय राजपूत छात्रावास के अपने कमरे में एक अकेला राजपूत नौजवान अकेला बैठा था, किसी बात के बारे में बहुत गहराई से सोच रहा था। वह सोच रहा था कि 'मेरे राष्ट्र का क्या होगा ’.....? ..... क्या मेरा समाज कोई बदलाव करेगा .....? ..... मुझे दीपक कहाँ से मिलना चाहिए, जिससे ज्ञान मिलेगा मेरा समाज; ..... वह दीपक कौन बनेगा? ..... मैं अपने जीवन का क्या करूंगा? ..... उस युवा की इस पीड़ा ने उसके संकल्प श्री क्षत्रिय युवक को जन्म दिया संघ। वह नौजवान कोई और नहीं बल्कि श्री क्षत्रिय युवक संघ के संस्थापक तन सिंह जी थे।