श्री क्षत्रिय युवक संघ

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सक्षिप्त परिचय

क्षतातित्श क्षतात्किल त्रायत इति क्षत्रिय सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण को धारण करने वाली त्रिगुणात्मक सृष्टि मे सत्य के असत्य से द्वन्द्व की और उन्मुख करने वाली वृत्ति क्षात्रवृति कहलाती हैं.

हम क्षत्रिय हैं- हमारी प्रकृति क्या हैं? हमारा गुण- कर्म - स्वभाव क्या हैं? मानव मात्र के लिए उज्ज्वल भविष्य का निर्माण क्षात्रशक्ति का उतमयितव् हैं। 


About Author 

 स्व.  तन सिंह

(जन्म 25 जनवरी 1924) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और दो बार लोकसभा के सदस्य थे। उन्होंने युवा राजपूतों के लिए एक संगठन श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना की। वे भारतीय संसद में प्रवेश करने से पहले राजस्थान राज्य की विधान सभा के सदस्य बने रहे।


1944 की दिवाली की रात थी। प्रवेश पिलानी शहर उत्सव की रोशनी में नाच रहा था। स्थानीय राजपूत छात्रावास के अपने कमरे में एक अकेला राजपूत नौजवान अकेला बैठा था, किसी बात के बारे में बहुत गहराई से सोच रहा था। वह सोच रहा था कि 'मेरे राष्ट्र का क्या होगा ’.....? ..... क्या मेरा समाज कोई बदलाव करेगा .....? ..... मुझे दीपक कहाँ से मिलना चाहिए, जिससे ज्ञान मिलेगा मेरा समाज; ..... वह दीपक कौन बनेगा? ..... मैं अपने जीवन का क्या करूंगा? ..... उस युवा की इस पीड़ा ने उसके संकल्प श्री क्षत्रिय युवक को जन्म दिया संघ। वह नौजवान कोई और नहीं बल्कि श्री क्षत्रिय युवक संघ के संस्थापक तन सिंह जी थे।


Product Information

21x 13.5x 0.5 cm

Publisher : श्री क्षत्रिय युवक संघ ग्रन्थ माला का पुष्प

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